हमारी वसीयत और विरासत (भाग 33)— गुरुदेव...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:— हमारी यात्रा चलती रही। साथ-साथ चिंतन भी चलता रहा। एकाकी रहने में मन पर दबाव पड़ता है; क्योंकि वह सदा से समूह में रहने का अभ्यासी है। एकाकीपन से उसे डर लगता है। अँधेरा भी डर का एक बड़ा कारण है। मनुष्य दिन भर प्रकाश में रहता है। रात्रि को बत्तियों का प्रकाश जला...

June 19, 2025, 10:04 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 33)— गुरुदेव ...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:—   हमारी यात्रा चलती रही। साथ-साथ चिंतन भी चलता रहा। एकाकी रहने में मन पर दबाव पड़ता है; क्योंकि वह सदा से समूह में रहने का अभ्यासी है। एकाकीपन से उसे डर लगता है। अँधेरा भी डर का एक बड़ा कारण है। मनुष्य दिन भर प्रकाश में रहता है। रात्रि को बत्तियों का प्रकाश ज...

June 19, 2025, 9:57 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 32)— गुरुदेव...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:— उनसे तो हमें चट्टियों पर दुकान लगाए हुए पहाड़ी दुकानदार अच्छे लगे। वे भोले और भले थे। आटा, दाल, चावल आदि खरीदने पर वे पकाने के बरतन बिना किराया लिए— बिना गिने ऐसे ही उठा देते थे; माँगने-जाँचने का कोई धंधा उनका नहीं था। अक्सर चाय बेचते थे। बीड़ी, माचिस, चना, ग...

June 18, 2025, 10:06 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 31)— गुरुदेव ...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा-पग-पग पर परीक्षा:— इस यात्रा से गुरुदेव एक ही परीक्षा लेना चाहते थे कि विपरीत परिस्थितियों में जूझने लायक मनःस्थिति पकी या नहीं। सो यात्रा अपेक्षाकृत कठिन ही होती गई। दूसरा कोई होता, तो घबरा गया होता; वापस लौट पड़ता या हैरानी में बीमार पड़ गया होता, पर गुरुदेव यह जीवनसूत्र व्यव...

June 17, 2025, 10:44 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 30)— गुरुदेव...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:— पूरा एक वर्ष होने भी न पाया था कि बेतार का तार हमारे अंतराल में हिमालय का निमंत्रण ले आया। चल पड़ने का बुलावा आ गया। उत्सुकता तो रहती थी, पर जल्दी नहीं थी। जो नहीं देखा है, उसे देखने की उत्कंठा एवं जो अनुभव हस्तगत नहीं हुआ है, उसे उपलब्ध करने की आकांक्षा ही...

June 16, 2025, 10:15 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 29)— गुरुदेव...

गुरुदेव का प्रथम बुलावा— पग-पग पर परीक्षा:— गुरुदेव द्वारा हिमालय बुलावे की बात मत्स्यावतार जैसी बढ़ती चली गई। पुराण की कथा है कि ब्रह्मा जी के कमंडलु में कहीं से एक मछली का बच्चा आ गया। हथेली में आचमन के लिए कमंडलु लिया, तो वह देखते-देखते हथेली भर लंबी हो गई। ब्रह्मा जी ने उसे घड़े में डाल दिया। क्षण...

June 15, 2025, 9:42 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 28)— दिए गए ...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:—   कांग्रेस अपनी गायत्री-गंगोत्री की तरह जीवनधारा रही। जब स्वराज्य मिल गया, तो हमने उन्हीं कामों की ओर ध्यान दिया, जिससे स्वराज्य की समग्रता संपन्न हो सके। राजनेताओं को देश की राजनैतिक-आर्थिक स्थिति सँभालनी चाहिए। पर नैतिक क्रांति, बौद्धिक क्रांति और सामाजिक...

June 14, 2025, 10:16 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 27)— दिए गए ...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:— कांग्रेस की स्थापना की एक शताब्दी होने को चली। पर वह कांग्रेस, जिसमें हमने काम किया, वह अलग थी। उसमें काम करने के हमारे अपने विलक्षण अनुभव रहे हैं। अनेक मूर्द्धन्य प्रतिभाओं से संपर्क साधने के अवसर अनायास ही आते रहे हैं। सदा विनम्र और अनुशासनरत स्वयंसेवक की...

June 13, 2025, 11:51 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 26)— दिए गए ...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:— "इस दृष्टि से एवं भावी क्रियापद्धति के सूत्रों को समझने के लिए तुम्हारा स्वतंत्रता-संग्राम अनुष्ठान भी जरूरी है।” देश के लिए हमने क्या किया; कितने कष्ट सहे; सौंपे गए कार्यों को कितनी खूबी से निभाया, इसकी चर्चा यहाँ करना सर्वथा अप्रासंगिक होगा। उसे जानने की ...

June 12, 2025, 10:38 a.m.

हमारी वसीयत और विरासत (भाग 24)— दिए गए ...

दिए गए कार्यक्रमों का प्राणपण से निर्वाह:— मनोरंजन के लिए एक पन्ना भी कभी नहीं पढ़ा है। अपने विषयों में मानो प्रवीणता की उपाधि प्राप्त करनी हो, ऐसी तन्मयता से पढ़ा है। इसलिए पढ़े हुए विषय मस्तिष्क में एकीभूत हो गए। जब भी कोई लेख लिखते थे या पूर्व में वार्त्तालाप में किसी गंभीर विषय पर चर्चा करते थे, तो...

June 9, 2025, 9:30 a.m.

लिथुआनिया में भारत के राजदूत एवं विख्यात...

यूरोप प्रवास के अंतर्गत लिथुआनिया में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की भेंट भारत के माननीय राजदूत श्री दवेश उत्तम जी एवं लिथुआनिया की प्रसिद्ध योग शिक्षिका सुश्री मिलाना यासिंस्काइते (Ms. Milana Jasinskytė) से हुई। यह संवाद योग, संस्कृति तथा शिक्षा के क्षेत्र ...

June 19, 2025, 9:42 a.m.

लिथुआनिया प्रवास के दौरान कौनेस विश्वविद...

यूरोप प्रवास के क्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी लिथुआनिया पहुँचे, जहाँ उन्होंने कौनेस स्थित प्रतिष्ठित Vytautas Magnus University (VMU) के कुलपति महोदय से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर देव संस्कृति विश्वविद्यालय के Baltic Center और VMU के मध्य सहयोग के ...

June 18, 2025, 9:59 a.m.

आदरणीय प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या जी ...

यूरोप प्रवास के अंतर्गत देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी लिथुआनिया के मारिजामपोल (Marijampolė) नगर पहुँचे, जहाँ भारतीय संस्कृति एवं सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार हेतु एक विशेष वैदिक यज्ञ का आयोजन संपन्न हुआ। इस अवसर ने बाल्टिक क्षेत्र में भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं...

June 17, 2025, 10:19 a.m.

एक दीप, एक संकल्प – यूएई में समाज जागरण ...

दुबई में आध्यात्मिक ऊर्जा का महोत्सव – दीपयज्ञ एवं ज्योति कलश पूजन गायत्री परिवार द्वारा आयोजित दीपयज्ञ कार्यक्रम में देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी एवं गायत्री विद्यापीठ की चेयरपर्सन आदरणीय शेफाली पंड्या जी की गरिमामयी उपस्थिति में श्रद्धालुजन एकत्र हुए। एवं इ...

June 16, 2025, 10:21 a.m.

शताब्दी वर्ष की ओर एक और सार्थक कदम......

गायत्री परिवार के आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने दुबई प्रवास के दूसरे दिन बिजनेस बे क्षेत्र में निवासरत जयपुर निवासी श्री निखिल एवं श्रीमती प्रियंका अग्रवाल के निवास पर सौजन्य भेंट की। इस आत्मीय मुलाक़ात के दौरान श्रद्धा एवं संस्कृति से परिपूर्ण वातावरण में एक नवजात शिशु के नामकरण संस्कार का आय...

June 16, 2025, 10:09 a.m.

दुबई में दिव्य संगम प्रेरणा, विचार और नए...

आज आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी की प्रेरणादायी उपस्थिति में दुबई के इंडिया क्लब में एक विशेष संगोष्ठी का आयोजन हुआ। उन्होंने ”जीवन – आशीर्वाद या अभिशाप?” विषय पर एक सार्थक एवं प्रभावशाली प्रस्तुति दी, जिसने सभी श्रोताओं को गहराई से सोचने पर विवश कर दिया। इस अवसर पर इस दौरान प्रबुद्ध इंडियन पीपल फार्म...

June 16, 2025, 9:56 a.m.

युग निर्माण की ध्वनि अब विश्व मंच पर...

रेडियो मिर्ची और अन्य प्रमुख अरबी रेडियो चैनलों के लाइव साक्षात्कार में डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने युग निर्माण मिशन, देव संस्कृति विश्वविद्यालय की वैश्विक भूमिका, और संस्कार आधारित शिक्षा पर अपने सारगर्भित विचार साझा किए। इस संवाद के माध्यम से उन्होंने बताया कि कैसे सकारात्मक विचारों और मूल्यों को मीडि...

June 16, 2025, 9:33 a.m.

ज्योति कलश यात्रा एवं श्रद्धा-संवर्धन का...

दुबई प्रवास के तृतीय चरण में, देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने दुबई के सक्रिय गायत्री परिवार कार्यकर्ताओं के साथ गहन संवाद किया। परम पूज्य गुरुदेव के मार्मिक संस्मरणों को भी साझा किया। उन्होंने कहा कि-*परम पूज्य गुरुदेव का कथन है मनुष्य जीवन तो सरल है पर मनुष्यता उ...

June 13, 2025, 4:41 p.m.

आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या का वैश्विक मंचो...

आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने रेडियो मिर्ची (Live Mirchi) तथा प्रमुख अरबिक टीवी चैनल्स को दिए विशेष साक्षात्कार में युग निर्माण मिशन की विचारधारा, देव संस्कृति विश्वविद्यालय की वैश्विक भूमिका एवं संस्कार आधारित शिक्षा की आवश्यकता पर अपने बहुमूल्य विचार साझा किए। इसके साथ ही ज्योति कलश के पावन महत्व...

June 13, 2025, 12:09 p.m.

राष्ट्र निर्माण में योगदान देने वाले 400...

देव संस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति आदरणीय डॉ. चिन्मय पंड्या जी ने अपने दुबई प्रवास के दौरान अल्क्रूज क्षेत्र स्थित एक फर्नीचर फैक्ट्री में आयोजित लेबर कैंप कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में सहभागिता की। इस विशेष अवसर पर स्वामी कृपाराम जी महाराज की भी गरिमामयी उपस्थिति रही। फैक्ट्री के CEO ...

June 13, 2025, 10:26 a.m.
as

First Meeting With Guru

At the age of 15- Self-realization on Basant Panchanmi Parva 1926 at Anwalkheda (Agra, UP, India), with darshan and guidance from Swami Sarveshwaranandaji.

Akhand Deep

More than 2400 crore Gayatri Mantra have been chanted so far in its presence. Just by taking a glimpse of this eternal flame, people receive divine inspirations and inner strength.

Akhand Jyoti Magazine

It was started in 1938 by Pt. Shriram Sharma Acharya. The main objective of the magazine is to promote scientific spirituality and the religion of 21st century, that is, scientific religion.

Gayatri Mantra

The effect of sincere and steadfast Gayatri Sadhana is swift and miraculous in purifying, harmonizing and steadying the mind and thus establishing unshakable inner peace and a sense of joy filled calm even in the face of grave trials and tribulations in the outer life of the Sadhak.

आचार्य जी ने सिद्धांत और साधना को आधुनिक युग के अनुकूल तर्क व शब्द देकर सामाजिक परिवर्तन का जो मार्ग दिखाया है, उसके लिए आने वाली पीढ़ियाँ युगों-युगों तक कृतज्ञ रहेंगी।

डॉ. शंकर दयाल शर्मा (पूर्व राष्ट्रपति)

 

मुझे ज्ञात है कि इस विश्वविद्यालय ने स्वतंत्रता सेनानी और लगभग ३००० पुस्तकों के लेखक पंडित श्रीराम शर्मा आचार्यजी के स्वप्न को साकार रूप दिया है। इन्हें भारत में ज्ञान क्रांति का प्रवर्तक कहना उपयुक्त होगा। आचार्यश्री का विचार था कि अज्ञानता ही निर्धनता और बीमारी आदि सभी समस्याओं की जड़ है।

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (पूर्व राष्ट्रपति एवं वैज्ञानिक)

 

आचार्य जी का एकाकी पुरुषार्थ सारे संत समाज की सम्मिलित शक्ति के स्तर का है, उनने गायत्री व यज्ञ को प्रतिबंध रहित करने निमित्त जो कुछ भी किया वह शास्त्रों के अनुसार ही था। मेरा उन्हें बारम्बार नमन है।

स्वामी जयेन्द्रतीर्थ सरस्वती (शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठ)

 

श्रद्धेय आचार्य श्रीराम शर्मा जी ने जो कार्य कर दिखाया वह अद्भुत है, युग के लिए नितांत आवश्यक है। आचार्य जी के साहित्य से मैं बहुत प्रभावित हूँ। प्रज्ञा पुराण ने विशेष रूप से मुझे अपने कार्यों में बहुत बल प्रदान किया है। उनका चिंतन राष्ट्र को शक्तिशाली बनाता और मानव मात्र को सही दिशा प्रदान करता है।

श्री नानाजी देशमुख (संस्थापक ग्रामोदय विश्वविद्यालय)

 

आचार्य जी द्वारा भाष्य किए गए उपनिषदों का स्वाध्याय करने के बाद उन्होंने कहा कि- ‘‘काश! यह साहित्य मुझे जवानी में मिल गया होता तो मेरे जीवन की दिशाधारा कुछ और ही होती; मैं राजनीति में न जाकर आचार्य श्री के चरणों में बैठा अध्यात्म का ज्ञान ले रहा होता।’’

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन्

 

विनोबा जी ने वेदों के पूज्यवर द्वारा किए गए भाष्य को ग्वालियर मेंं एक सार्वजनिक सभा में अपने सिर पर धारण करते हुए कहा- "ये ग्रन्थ किसी व्यक्ति द्वारा नहीं, शक्ति द्वारा लिखे गये हैं।"

आचार्य विनोबा भावे

 

सुप्रसिद्ध सन्त देवरहा बाबा एक सिद्ध पुरुष थे। उनने एक परिजन से कहा- ‘‘बेटा! उनके बारे में मैं क्या कहूँ? यह समझो कि मैं हृदय से सतत उनका स्मरण करता रहता हूँ। गायत्री उनमें पूर्णतः समा गयी है एवं वे साक्षात् सविता स्वरूप हैं।’’

देवरहा बाबा

 

‘‘आचार्यश्री ने गायत्री को जन-जन की बनाकर महर्षि दयानन्द के कार्यों को आगे बढ़ाया है। गायत्री और ये एकरूप हो गये हैं।’’

महात्मा आनन्द स्वामी

 

अपने भावभरे उद्गार पूज्यवर के सम्बन्ध में इस रूप में व्यक्त किए थे- ‘‘आचार्य जी इस युग में गायत्री के जनक हैं। उनने गायत्री को सबकी बना दिया। यदि इसे मात्र ब्राह्मणों की मानकर उन्हीं के भरोसे छोड़ दिया होता तो अब तक गायत्री महाविद्या सम्भवतः लुप्त हो गयी होती।’’

करपात्री जी महाराज